हाँ... ये सच है, मैं वो खुशनसीब शख्स हूँ जिसके लिए तो वक्त भी अपना समय निकाल लेता है...
मुझे सही रास्ता दिखने के लिए। याद है मुझे वो दिन, जब किसी ने मुझ से कहा था की ज़िन्दगी में कभी भी कुछ आसानी से नही मिलता, कुछ भी पाने के लिए महनत तो करनी ही पड़ती है, कुदरत को भी....यहाँ तक की पेड़ कि छाया मे बैठकर दो पल सुकून देने के लिए भी वह पेड़ धुप से वकालत करता है..,हाँ महनत तो है... और मैं महनती हूँ भी, हमेशा वक्त के साथ चलती हूँ.... क्योंकि जो वक्त के साथ चलता है कामयाबी भी उसी के साथ होती है। क्या आपको पता है की किस वजह से लोग अपने आपको कमजोर समझने लगते है? किस वजह से लोग अपनी ज़िन्दगी से नफरत कर बैठते है? मैं बताती हूँ....सोच..... ये सोच ही हमारी हर उस वजह की ज़िम्मेदार है जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण किरदार निभाती है.... सोच अच्छी हो या बुरी बड़ी हो या छोटी, बहुत ज़ियादा प्रभाव रखती है...हम सभी इस बात से अवगत है की सोच दो प्रकार की होती है... सकारात्मक और दूसरी नकारात्मक। जब हम कोई भी दुर्घटना को एक सीख समझकर ग्रेहड़ करते है वह है सकारात्मक सोच और उसी दुर्घटना को अपनी बुरी किस्मत समझकर निराशा के पल्लू को पकड़ लेते है वह है नकारात्मक सोच अब चलिए में ये छोटी सी बात आपको एक उदहारण के माध्यम से समझती हूँ अगर एक बच्चे की बीस दिन बाद से परीक्षा शुरू है और वह किसी वजह से पुरे साल नही पढ़ पाया या महनत नही कर पाया और वो सोचता है की इस बार शायद वो उत्तीर्ण नही हो पाएगा तो वह नकारात्मकता की ओर जा रहा है, वही अगर वो ये सोचे की अभी भी मेरे पास बीस दिन है इन बीस दिनों में चारसो अस्सी घंटे होते है, इन चारसो अस्सी घंटो में भी अगर कोई भी दोसो चालिस घंटे भी मन लगाकर पढ़ ले तो उससे उत्तीर्ण होने से कोई नही रोक सकता। हमेशा अच्छा सोचो...अच्छा सोचोगे तो अच्छा ही पाओगे। नकारात्मत सोच रखने से हमारे ही अंदर नकारात्मक ऊर्जा आती है....