पार्टी छोड़ते ही नेता क्यों बन जाते हैं विभीषण ?

Author Photo Pandit Sanjay Sharma 'aakrosh' Tue 5th Sep 2017      Write your Article
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पार्टी छोड़ते ही नेता क्यों बन जाते हैं विभीषण ?
पार्टी छोड़ते ही नेता क्यों बन जाते हैं विभीषण ?
कभी पार्टी का झंडा उठा कर घूमते नेता और अपनी पार्टी के लिए जान तक न्योछावर करने वाले नेता और अपनी वर्तमान पार्टी के सुप्रीमो के अति वफादार रहने वाले नेता जब अपनी वर्तमान पार्टी को छोड़कर जाते हैं तो पानी पी पी कर अपनी पुरानी पार्टी को कोसते हैं और पार्टी सुप्रीमों को पर जबरदस्त तरीके से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू कर देते हैं ।
अभी हाल ही में बसपा से गये एक नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी ने मायावती के खिलाफ जबरदस्त तरीके से मोर्चा खोल रखा है उ प्र चुनावों से पूर्व भी भाजपा में गये स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई और आरोप प्रत्यारोप चलते रहे ।
अभी ताजा उदाहरण देखें तो आम आदमी पार्टी के विधायक ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अनशन कर मोर्चा खोल रखा है
वैसे तो बहुत से नेताओं के ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जब वो अपनी वर्तमान पार्टी को छोड़ कर जाते हैं या फिर उनकी अपनी वर्तमान पार्टी में महत्वकांक्षाएं पूरी नहीं हो पाती तो वो अपनी पार्टी के सुप्रीमो के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं ।
सबसे पहले हम बात करते हैं बसपा के पूर्व नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी से वे बताएं कि जब मायावती द्वारा बसपा में इस प्रकार के तानाशाही भरे कृत्य किये जा रहे थे अवैध वसूली की जा रही थी तब तो आप उन कृत्यों में बराबर के भागीदार थे तब आपने आवाज क्यों नहीं उठाई ?
लगभग यही बात मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में भी कहना चाहता हूं ।
अब बात करते हैं आम आदमी पार्टी के बर्खास्त मंत्री विधायक कपिल मिश्रा जिन्होंने दिल्ली की राजनीति में भूचाल पैदा कर दिया है अरविंद केजरीवाल के ऊपर आरोपों की बौछार कर दी है और अनशन पर भी बैठ गए हैं ।
मेरा कहना है कि जिस भ्र्ष्टाचार को खत्म करने के लिए आम आदमी पार्टी का उदय हुआ अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने । आज उन्हीं पर उनकी पार्टी के विधायक व बर्खास्त मंत्री कपिल मिश्रा आरोप लगा रहे हैं जो केजरीवाल भ्र्ष्टाचार को लेकर दूसरी पार्टियों को कटघरे में खड़ा कर उनकी बखिया उधेड़ा करते थे आज उनके ही विधायक उनकी बखिया उधेड़ उनको कॉलर पकड़ तिहाड़ ले जाने की बात कर रहे हैं ।
मेरा कहना है कि बर्खास्त मंत्री कपिल मिश्रा जिन्होंने अरविंद केजरीवाल के ऊपर जो आरोप प्रत्यारोप लगाए हैं उन पर वो अब तक क्यों चुप रहे ?
जब उनको ये मालूम था कि केजरीवाल पार्टी के अंदर काला पीला कर रहे हैं तब उन्होंने आवाज कईं नहीं उठाई ?

मेरा मत---
मेरा ऐसा मानना है कि राजनीति एक अति महत्वकांक्षाओं का खेल है ज्यों ज्योँ राजनीति कर रहे नेताओं की महत्वकांक्षा बढ़ती जाती है या फिर उनकी पार्टी के अंदर महत्वकांक्षा पूरी नहीं हो पाती या फिर किसी महत्वकांक्षा के चलते पार्टी सुप्रीमों से उस नेता का छत्तीस का आंकड़ा हो जाता है तब ही इस प्रकार की नोटंकी देखने को मिलती हैं ।
उसके बाद आग में घी डालने का काम उस नोटंकी कर रहे नेता के साथ मिलकर पर्दे के पीछे रहकर विरोधी पार्टियां करती है और रही सही कसर पूरी कर देता है मीडिया ।
मेरा कहना है कि ठीक है जो व्यक्ति आज अपनी पार्टी के सुप्रीमो पर आरोप लगा रहा है उसको कटघरे में खड़ा करो लेकिन जो व्यक्ति आरोप लगा रहा है क्या उसको भी कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए ?
जितना दोषी आज जितने भी नेता जो अपनी पार्टी के सुप्रीमो के खिलाफ आरोप लगाकर बता रहे हैं क्या वो भी उसमे बराबर के साझीदार नहीं थे ?
दोषी कौन ?
राजनीतिक गलियारों से निकल कर समाज मे फैल रही भ्र्ष्टाचार नामक बीमारी के लिए किसे दोष दें नेताओं को ? सिस्टम को ? या फिर अपने आपको ?
अब क्योंकि लोकतंत्र में आम जनता के वोट से सरकार बनती और बिगड़ जाती है तो जनता की ही ये जिम्मेदारी भी बनती है कि वे जिस व्यक्ति या जिस पार्टी को वोट दे रहे हैं वो पार्टी या वो व्यक्ति उसकी जन आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है या नहीं ?
लेकिन चुनावों के दौरान देखा जाता है कि जनता वोट कभी धर्म के नाम पर कभी हिन्दू मुसलमान के नाम पर कभी भाषा या क्षेत्रवाद के नाम पर करती आई है विकास के नाम की बात करने वालों को या उस जनता के लिए संघर्ष करने वालीं को यही जनता साइड में लगा देती है और धर्म और मजहब के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों के नाम पर अपना ठप्पा लगा देती है । दलबदलू नेताओं को चुनकर भी यही जनता लोकसभा और विधानसभा में पहुँचा देती है ।
राजनीति एक व्यवसाय

आज जिस प्रकार से चुनाव मंहगा मंहगा होता जा रहा है करोड़ों रुपये फूंकने के बाद नेता विधायक या सांसद बन कर जाता है तो वो क्या जनता का विकास करेगा ?
सबसे पहले तो वो अपना चुनाव में खर्च किया रुपया कमायेगा फिर उस रुपये की ब्याज फिर अगले चुनाव का खर्च निकलेगा अब वो नेता विकास कब करेगा ।
बस यही जनता को समझना होगा ।
पं संजय शर्मा की कलम से

YE ZINDAGI KIS KAAM KI

Author  Photo Shrivastva MK   (Wed 4th Oct 2017) YE ZINDAGI KIS KAAM KI
Wo Zindagi kis Kam ki
Jisme tumhara sath na ho,
Wo hoth kis Kam ki
Jisme Tumhari muskan na ho,
Taare bhi tut Kar gir jate ek din
Jab Chand ka sath na ho,

Wo aankhey kis Kam ki
Jisme tumhara chehra na ho,
Wo dil kis Kam ki .... Read More

दुनिया का निजाम

Author  Photo Pandit Sanjay Sharma 'aakrosh'   (Thu 12th May 2016)  दुनिया का निजाम
वाह री दुनिया देखा तेरा निजाम
और उसे चलाने वाले
यहाँ के दो नियम हैं
जिंदगी जीने के
खुद के लिए कुछ
बाकियों को बहलाने वाले
उनको छींक भी आ जाये
वो खबर बन जाता है
हमारी तो उम्मीदों का
सूरज भी यहाँ ढल जाता है.... Read More

Ham to peete bhi rahe

Author  Photo Pandit Sanjay Sharma 'aakrosh'   (Sat 31st Jan 2015) Ham to peete bhi rahe
Ham to peete bhi rahe
ham to jeete bhi rahe

Dard dil mai Jo tha
Usko seete bhi rahe

Raho mai Jo mila
Uske hote bhi rahe

Apni tanhai ko.... Read More

अब वो सारे बाग वीराने लगते है

Author  Photo Shrivastva MK   (Mon 18th Dec 2017) अब वो सारे बाग वीराने लगते है
अब वो सारे बाग वीराने लगते है,
अब वो सारे फूल पुराने लगते है,
जब से हुई है नफ़रत मोहब्बत से
तब से सारे दर्द याराने लगते है,

अब वो लोग अनजाने लगते है,
अब वो तस्वीर बेगाने लगते है,
जब भी याद आती है उनकी
तब ये अश्क़ भी दीवाने लगते है
.... Read More

NAZANE KYON RUTHA RUTHA HAI YE PAL

Author  Photo Shrivastva MK   (Wed 4th Oct 2017) NAZANE KYON RUTHA RUTHA HAI YE PAL
Najane kyon rutha rutha hai ye pal,
Chhin ke meri khushi deke dard bhra gum,
Ai khuda ye tera kaisa insaaf hai,
Lauta de tu mujhe meri zindagi nahi lagta unke bina mera man,
Najane kyon rutha rutha hai ye pal,

Hal-e-dil ab sunau kissse,
Apni khoi khushi ko lau kaise,
Ai khuda ab ye khubsura.... Read More

I will always love you my love...!!!!

Author  Photo Devkant   (Thu 24th Mar 2016) I will always love you my love...!!!!
Humne joh ki thi mohabbat aaj bhi hai ...
Teri zulfon ke saaye ki chahat aaj bhi hai ...
Raat katti hai aaj bhi khayalon mein tere ...
Deewanon si woh meri haalat aaj bhi hai ...
Kisi aur ke tasavvur ko uthti nahi,
Baimaan aankhon mein thodi si sharafat aaj bhi hai ...
Chaha ki ek baar c.... Read More

zindagi bahut kuchh baki hai tu dheere chal

Author  Photo Mustafa   (Tue 2nd Dec 2014) zindagi bahut kuchh baki hai tu dheere chal
Very nice poetry
Read it slowly. ...

Ahista chal zindagi, abhi kai karz chukana baaki hai.

Kuch dard mitana baaki hai, kuch farz nibhana baaki hai.

Raftaar mein tere chalne se kuchh rooth gaye, kuch chhut gaye.

Roothon ko manana baaki hai, roton ko hasana baki hai..... Read More

अगर मेरी किस्मत फूटी न होती

Author  Photo Shrivastva MK   (Sat 11th Nov 2017) अगर मेरी किस्मत फूटी न होती
अगर मेरी किस्मत फूटी ना होती,
तो शायद वो पल भी हमसे रूठी ना होती !
हमसफ़र बन ज़िन्दगी भर साथ निभाते,
यदि वो सारे वादें झूठी ना होती !

अगर इन आँखों में आंसू देने वाली वो बातें याद ना होता,
तो ख़ुदा कसम ये दिल भी किसी दर्द के मोहताज़ ना होता !
मुस्कुरा तुम्हे अपना लेते हम यदि,
उस पल तेरी बेवफ़ाई क.... Read More

ज़िन्दगी का सफ़र

Author  Photo Shrivastva MK   (Sun 1st Oct 2017) ज़िन्दगी का सफ़र
ज़िन्दगी का सफ़र बढ़ता चला गया,
हम रोते रह गए बीती बातो को सोच कर,
और एक वक्त है जो बिन परवाह गुज़रता चला गया,

वो हमे ढूंढते रह गए प्यार के गलियो में,
और मेरा प्यार उनके याद में खोता चला गया,

न मंज़िल का पता था न रहने का कोई ठिकाना,
पर ये कम्बख़त दिल है जो उनके प्यार में भटकता चला गया,
.... Read More