कभी हम भी उनके अज़ीज़ हुआ करते थे ,
आज उनके दीदार को तरसते है
कभी उनकी आंखों में अपने लिए मोह्हबत देखा करते थे,
आज उनमे अपने आप को अनजान देखा करते है ।
फिक्र थी उन पलो में ,कुशिया थी उनकी हमसे
उनके आज से ही नही, हम तो उनके कल से मोह्हबत किया करते है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ हुआ करते थे ,
आज उनके दीदार को तरसते है
ख़ामोशी में भी उनकी जुबा को हम पढ़ लिया करते थे ,
लेकिन आ लब्ज़ो में भी उनके जज़्बातों स अज्ञात हो जाया करते है ,
गुलजार थे हम उन लम्हो में ,गुमसुदा थे हम उन जज़्बातों में
और आज भी हम गम के आगोश में बैठे उनको याद किया करते है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ हुआ करते थे ,
आज उनके दीदार को तरसते है
कल तक उनकी निगाहे हमारे आखो पर मुस्कुराहट ले आती ।
आज उनकी निगाहें आखो में अश्क छोड़ जाया करती है ,
समाए थे हम खूबसूरत रिश्ते में पल दो के लिए ,
पर बेदखल हम पलों को सोचकर आज भी उनसे मोह्हबत किया करते है ,
कभी हम भी उनके अज़ीज़ हुआ करते थे ,
आज उनके दीदार को तरसते है
कल तक हमारी ख़ामोशी में भी उनके लिए संदेशा हुआ करता था ,
लेकिन आज मेरी ख़ामोशी में बी उनसे बिछड़ने की सिसकिया हुआ करती है
अदीब थे हम उस वक़्त में , खुद पर आए अश्को को पोछ कर उनको भूल जाना ,
लेकिन खयालो आर वो गुमशुदा हो जाने की मांग किया करते है ।
कभी हम भी उनके अज़ीज़ हुआ करते थे ,
आज उनके दीदार को तरसते है